तुम,
क्या सावित्री हो ?
क्या माँगी है तुमने
पति की आयु ?
तुम !
क्या सधवा रहोगी सदा ?
नहीं !
तो फिर
तुमने विधवा को
कुलटा क्यों कहा ?
घृणा क्यों करती हो उससे ?
क्या वह
तुम्हारी तरह नारी नहीं ?
क्या तुम समझती हो
उसी ने पति की हत्या की
ताकि समाज उसे
कुलटा, अशुभ
और
विधवा कहे ?
नहीं !
तो फिर मिटा दे
इस घृणा को
अपनी ही जाति से
और लगा ले
उसे भी गले
वह भी तो
सहजात नारी ही है ।
-डा० सूरजमणि स्टेला 'कुजूर'
क्या सावित्री हो ?
क्या माँगी है तुमने
पति की आयु ?
तुम !
क्या सधवा रहोगी सदा ?
नहीं !
तो फिर
तुमने विधवा को
कुलटा क्यों कहा ?
घृणा क्यों करती हो उससे ?
क्या वह
तुम्हारी तरह नारी नहीं ?
क्या तुम समझती हो
उसी ने पति की हत्या की
ताकि समाज उसे
कुलटा, अशुभ
और
विधवा कहे ?
नहीं !
तो फिर मिटा दे
इस घृणा को
अपनी ही जाति से
और लगा ले
उसे भी गले
वह भी तो
सहजात नारी ही है ।
-डा० सूरजमणि स्टेला 'कुजूर'
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