प्रेम नीर बस बहता जाये
जीवन सरित गीत ये गाये
तनिक रुको हे प्रिया गाँव में
सम्बंधों क़ी सुखद छाँव में
वैभव प्रियतम करे निवेदन
नदिया का भी रुकने का मन
पर परिवर्तन सिन्धु गरज कर
अपनी ओर खीच ले जाये
हे सरिता तुम बहती रहना
प्रेम वारि से सिंचित करना
रुके प्रवाह न कभी तरंगिनि
प्राण ईश से यही मनाये
जीवन सरित गीत ये गाये
-शिवमूर्ति तिवारी
प्राचार्य
शिक्षा निदेशालय, दिल्ली
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